नई दिल्ली , माननीय विशेष न्यायाधीश, सीबीआई मामलें (मध्य), लखनऊ ने उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति के गबन से संबंधित दो मामलों यथा वर्ष 1997-98 व 1998-99 के दौरान पहले मामलें में एवं वर्ष 1999-2000 के दौरान दूसरे मामले में तत्कालीन वरिष्ठ लिपिक, डीआईओएस कार्यालय, कानपुर नगर एवं चार निजी व्यक्तियों सहित पांच आरोपियों को 3 वर्ष की कारवास व जुर्माने की सजा सुनाई।
पहले मामले में, माननीय विशेष न्यायाधीश, सीबीआई मामलें (मध्य) लखनऊ ने छात्रवृत्ति की धनराशि का गबन करने से संबंधित एक मामले में श्री कृष्ण कुमार, तत्कालीन वरिष्ठ लिपिक, डीआईओएस कार्यालय, कानपुर नगर एवं श्री मनोज कुमार द्विवेदी (निजी व्यक्ति) सहित दो आरोपियों को 3 वर्ष की कारवास एवं कुल 60,000/- रु. जुर्माने की सजा सुनाई।
सीबीआई ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आपराधिक विविध समादेश याचिका संख्या 5188/2000 में दिनांक11.01.2002 को जारी आदेश, के अनुपालन में नौबस्ता पुलिस स्टेशन, उत्तर प्रदेश में पूर्व में दर्ज अपराध संख्या 311/2001 की जाँच को अपने हाथों में लेते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468 एवं 409 के तहत दिनाँक 18.02.2002 को तत्काल मामला दर्ज किया, जिसमें आरोप था कि जिला कल्याण अधिकारी, कानपुर द्वारा जारी वर्ष 97-98 एवं 98-99 के लिए 9,38,264/- रु. की छात्रवृत्ति की धनराशि का जिला समाज कल्याण विभाग, कानपुर के अधिकारियों एवं जिला शिक्षा अधिकारी के कर्मियों ने कुछ निजी व्यक्तियों के साथ मिलीभगत में काल्पनिक खाते(Accounts) खोलकर गबन किया।
जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने 20.09.2004 को माननीय विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण, उत्तर प्रदेश मध्य, लखनऊ में दोषी ठहराए गए आरोपियों सहित आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया।
दूसरे मामले में, माननीय विशेष न्यायाधीश, सीबीआई मामलें (मध्य), लखनऊ ने छात्रवृत्ति की धनराशि के गबन से सम्बंधित मामलें में चार आरोपी निजी व्यक्तियों, अर्थात् मनोज कुमार द्विवेदी, (पहले मामले में भी दोषी), विनोद कुमार मिश्रा, सुलेमान एवं प्रेम सिंह उर्फ पुती को 3 वर्ष की कारवास के साथ कुल 1,20,000 रु. की सजा सुनाई।
सीबीआई ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आपराधिक विविध समादेश याचिका संख्या 5188/2000 में जारी आदेश, दिनांक 11.01.2002 के अनुपालन में नौबस्ता पुलिस स्टेशन, उत्तर प्रदेश में पूर्व में दर्ज अपराध संख्या 1039/ई/2000, दिनाँक 20.12.2000 की जाँच को अपने हाथों में लेते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468 एवं 409 के तहत दिनाँक 18.02.2002 को तत्काल मामला दर्ज किया, जिसमें आरोप था कि वर्ष 1999-2000 के लिए नौ गैर-मौजूद कॉलेजों के नाम पर एसबीआई नौबस्ता शाखा कानपुर के बचत खातों के माध्यम से निकाली गई 6,44,000/- रु. की छात्रवृत्ति की राशि का तत्कालीन प्रबंधक, जोहरा इंटर कॉलेज, कानपुर ने जोहरा इंटर कॉलेज, देवर्षि इंटर कॉलेज और घनश्याम दास इंटर कॉलेज के लिपिकों के साथ तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक, कानपुर नगर की मिलीभगत से गबन किया।
जांच पूर्ण होने के पश्चात, सीबीआई ने माननीय विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण, उत्तर प्रदेश मध्य, लखनऊ के समक्ष दोषी ठहराए गए आरोपियों सहित आरोपियों के विरुद्ध दिनाँक 28.07.2004 को आरोप पत्र दायर किया। विचारण के पश्चात, अदालत ने आरोपियों को दोषी ठहराया एवं उन्हें तदनुसार सजा सुनाई।