लोकतंत्र की जीत, भाजपा को सबक

भगवान गौतम बुद्ध की धरती पर जगदम्बिका पाल ने चौथी बार जीत हासिल करके इतिहास रचा

भगवान गौतम बुद्ध की धरती पर जगदम्बिका पाल ने चौथी बार जीत हासिल करके इतिहास रचानई दिल्ली , अब इस बार जनता का जनादेश कुछ ऐसा ही देखने को मिला है जहां पर कहने को एनडीए को जीत दिलवाई गई है, लेकिन उस जीत में कई सबक भी सिखा दिए गए हैं। इसी तरह से इंडिया गठबंधन को सत्ता से दूर रखा गया है, लेकिन इतनी मजबूती दे दी गई है कि इस बार विपक्ष की आवाज दबने नहीं वाली है। सही मायनों में लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में इस बार लोकतंत्र की ही जीत हुई है क्योंकि इस बार मजबूत विपक्ष की नींव डाल दी गई है।लोकसभा चुनाव में एक बार एनडीए ने बाजी मारते हुए केंद्र में अपनी सरकार बनाई है। जीत की हैट्रिक लगाकर कई रिकॉर्ड भी अपने नाम किए हैं। लेकिन इस बार जनादेश बीजेपी से ज्यादा एनडीए के लिए है। इस बार बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है, पार्टी को अपने सहयोगियों के सहारे की पूरी जरूरत पड़ी है। बड़ी बात यह है कि दस सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि एनडीए का आंकड़ा 300 भी पार नहीं कर पाया है।उत्तर प्रदेश के लिहाज से यह नतीजा इसलिए ज्यादा हैरान करता है क्योंकि इस बार का चुनाव राम मंदिर बनने के बाद हुआ है, ऐसे में माना जा रहा था कि राम लहर का असर बीजेपी के प्रदर्शन में दिखाई पड़ेगा। लेकिन बीजेपी ने अयोध्या सीट ही इस बार गंवा दी है, इसके ऊपर आसपास की कई दूसरी सीटों पर भी हार का सामना करना पड़ा है, ऐसे में यूपी में मोदी-योगी का डबल इंजन बुरी तरह हाफ गया है।
232 सीटों के साथ इंडिया गठबंधन ने इस बार काफी कड़ी टक्कर देने का काम किया है। जहां दूसरी तरफ 400 पार के नारे दिए जा रहे थे उस बीच इस प्रकार का प्रदर्शन कई को हैरान कर गया है। इस प्रदर्शन ने सबसे बड़ा उलटफेद देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में किया है। यूपी में इस बार समाजवादी पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए एनडीए से ज्यादा सीटें जीत ली हैं। एक तरफ अगर एनडीए का आंकड़ा 37 सीटों पर सिमट गया है तो वही इंडिया ने 43 सीटें जीती हैं।इसी तरह महाराष्ट्र की स्थिति भी एनडीए के मुफीद नहीं बैठी और 29 सीटों पर महा विकास अघाड़ी आगे निकल गया। उद्धव गुट की शिवसेना ने भी बेहतर प्रदर्शन किया और शरद गुट वाली एनसीपी ने भी अपनी टैली बढ़ाई। दूसरी तरफ बीजेपी और उसके साथियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। अब बीजेपी को जो यह झटके लगे, उसकी भरपाई ओडिशा से की गई जहां इस बार बीजेपी की आंधी ने राज्य में एक तरह से क्लीन स्वीप कर दिया। 21 सीटों में से 19 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। ऐसा इसलिए कहना पड़ेगा क्योंकि यूपी हो, महाराष्ट्र हो या फिर बंगाल, हर जगह मोदी का चेहरा था। उन्हीं की गारंटी का हर जगह जिक्र था, ऐसे में अब जब उन्हीं राज्यों में सबसे ज्यादा कम सीटें निकली हैं, साफ मतलब है कि कुछ हद तक मोदी मैजिक फीका पड़ा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो इस बात से भी निकल रहा है कि खुद पीएम मोदी अपनी वाराणसी सीट को सिर्फ 1 लाख से थोड़े ज्यादा अंतर से जीत पाए हैं, जबकि पिछली बार तो तीन लाख से भी ज्यादा का अंतर था। इसके ऊपर वाराणसी के आसपास की सीटों पर भी बीजेपी का हार का सामना करना पड़ा है।
ऐसे में इस बार जनादेश साफ बताता है कि एनडीए की सरकार बनाने की बात हुई है, मोदी की सरकार नहीं बनानी है। देश की जनता को गठबंधन की सरकार चाहिए, उन्हें एक अकेले व्यक्ति की मजबूत सरकार नहीं चाहिए। इसके ऊपर यह भी साफ हो गया है कि देश को कांग्रेस मुक्त भारत नहीं चाहिए, बल्कि उसे मजबूत विपक्ष की भी दरकार है।

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