पत्रकारिता दिवस और चुनौतियां

हिन्दी पत्रकारिता दिवस पत्रकारिता से जुड़े सभी जनों को आत्म विश्लेषण, चिंतन, अपने कार्यों की समीक्षा करने का पवित्र दिवस है। पत्रकार और उसके कार्य से उसकी गौरव गरिमा और पत्रकारिता की मर्यादा जुड़ी हुयी है। पत्रकारों ने सदैव समाज में फैली हुई कुरीतियों को दूर करने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाया है और समाज सुधार की दिशा में सदैव पहल किया है। यही कारण है कि आजादी के बाद वह देश में चैथे स्तम्भ के रूप में जाना जाता है। कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्याय पालिका के समान ही आम जन मानस के मन में पत्रकारों का भी सम्मान है। नागरिकों की अवधारणा है कि यदि कोई समस्या पत्रकारों तक पहुंच जायेगी तो उसका निदान पत्रकारों की लेखनी के माध्यम से हो जायेगा।
आजादी की लड़ाई के समय देश के हजारों ज्ञात अज्ञात पत्रकारों ने अंग्रेजों से देश को आजाद कराने के लिए अपनी निर्णायक और महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। पत्रकारों की भूमिका के बदौलत आजादी की लड़ाई के प्रति जन-जन में चेतना जगी थी। यही कारण था कि आजादी के दीवानों ने समाचार पत्रों का भरपूर सहयोग लिया था। देश को आजाद कराने में अपने-अपने स्थान पर सबकी भूमिका रही है। लेकिन हिन्दी समाचार पत्रों पत्रिकाओं तथा पोस्टर, पम्पलेट ने अहम भूमिका निभाया था। अनेक पत्रकारों को अंग्रेजों के यातना का शिकार भी होना पड़ा था।
आजादी के बाद पत्रकारों की भूमिका दशा और दिशा भी बदल गयी है। आजादी की लड़ाई के समय सभी पत्रकारों का एक प्रमुख लक्ष्य था कि देश को अंग्रेजों की दास्ता से मुक्त कराया जाय। लेकिन अब पत्रकारों का अपना उद्देश्य अलग-अलग है। अनेक पूंजीपति घराने बड़े पैमाने पर समाचार पत्रों का प्रकाशन और संचालन कर रहे हैं और अपने नीति रीति के हिसाब से समाज को दिशा प्रदान कर रहे हैं। यदि निष्पक्ष भाव से समीक्षा किया जाय तो समाज के विभिन्न वर्गोें में आयी गिरावट का शिकार भारतीय पत्रकारिता और विशेष रूप से हिन्दी पत्रकारिता को भी होना पडा है। वर्तमान समय में जहां शिक्षा जगत कार्यपालिका, न्याय पालिका, व्यवस्थापिका के कार्यों पर लोग उंगली उठाते हैं वहीं पत्रकार और समाचार पत्र भी इससे परे नहीं हैं। कुछ लोग खोजी पत्रकारिता के नाम पर अपना उल्लू साधने में सफलता प्राप्त कर रहे हैं। वहीं उनके द्वारा समर्पित और निष्ठावान पत्रकारों की गौरव और गरिमा को गिराया जा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा सूचना का अधिकार नागरिकों को प्रदत्त कर दिये जाने के बाद पत्रकारों को कर्तव्य पालन में और सुगमता हो गयी है। जरूरत इस बात की है कि पत्रकार अपने कर्तव्यों का पालन परिश्रम और ईमानदारी से करें। एक पत्रकार का दायित्व होता है कि वह अपने आप को जोखिम में डालकर दूसरों को जोखिम से बचाये। अपने कार्यों से समाज में फैली कुरीतियों को दूर करें। तभी वह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सम्मान का पात्र बना रहेगा।
हिन्दी पत्रकारिता दिवस सभी पत्रकारों को संकल्प लेने का दिवस है कि हम राष्ट्रीय एकता, अखण्डता को मजबूत करने के लिए कार्य करेंगे। और ऐसा कोई कार्य कदापि नहीं करेंगे जिससे आपसी भाईचारा प्रभावित हो और समाज में एकता के बदले विद्वेष की भावना को पनपने का अवसर मिले। हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर ‘‘विचारपरक’’ परिवार की ओर से हम सभी पत्रकारों का हार्दिक अभिनन्दन और वंदन करते हैं।

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